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5 Jun 2023 · 1 min read

कुछ भी नहीं मुकम्मल है

ये बातें नहीं अनर्गल है
आज तेरा तो मेरा कल है
आनी-जानी दुनिया में
कुछ भी नहीं मुकम्मल है.

कभी शह तो कभी मात
मंजर बदलता पल-पल है
आनी-जानी दुनिया में
कुछ भी नहीं मुकम्मल है.

कभी हवाएँ थम सी- जाती
पल में हो जाती चंचल है
आनी-जानी दुनिया में
कुछ भी नहीं मुकम्मल है.

कभी समस्यायें लगती कठीन है
पल में लगती बहुत सरल है
आनी-जानी दुनिया में
कुछ भी नहीं मुकम्मल है.

सब छोड़ यही पर जाना है
फिर पूछता”विशाल”करता कोई क्यों छल है
आनी-जानी दुनिया में
कुछ भी नहीं मुकम्मल है.

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