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18 Mar 2020 · 1 min read

कुछ भी नया नहीं होता

कब हुआ कैसे हुआ कुछ पता नहीं होता
इश्क़ वो आग है जिसमें धुआँ नहीं होता

राह में पलकें वही..आँख में वही आँसू
यार इस काम में कुछ भी नया नहीं होता

एक दूजे की इबादत में गुजरते हैं पल
बीच दीवानों के कोई खुदा नहीं होता

काट दो बाँट दो करना है जो करो लेकिन
प्यार से प्यार का दामन जुदा नहीं होता

जो लिखा होता है अक्सर उसे नहीं पढ़ते
जो पढ़ा करते हैं अक्सर लिखा नहीं होता

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