कुछ बात करें
मिल बैठ कुछ बात करें,
दिल की बातें चार करें।
मन की गांठे खुद से खोलें,
अपनों से कुछ अपना बोले।
दिन ये चार पहर का प्रहरी,
आज नहीं तो कल जाना है।
बैठ के कुछ तो बात करें अब,
बीत गया वो पल नहीं आना है।
कब तक तुम रखोगे मन में,
उन बीती बातों का भार।
अब है कुछ तो हल्का कर लो,
क्षण ये मिले नहीं हर बार।
सुख दुःख अपने हम मिल बांटे,
फिर जो हो सो हो जायेगा।
दिल का बोझ जो फिर कम होगा,
चेहरा ख़ुशी से खिल जायेगा।