कुछ बांकी है
तेरे वापस आने का मुझे इन्तजार तो नहीं है ,
पर ना जाने अब भी क्यूँ ऐसा लगता है कि कुछ बांकी है ।
तेरी हर याद को अपने जहन से मिटा चुका हूँ ,
पर जब भी दोस्तों मे इत्तफाक से तेरा जिक्र होता है
मेरे दिल मे तेरी यादों कि लहरे उठ जाती है ।
वो पहली मुलाकात , वो मुस्कान ,
वो हौले- हौले से मेरी ओर चल कर आना
सब कुछ धुंधला हो चुका है ,
पर ना जाने अब भी क्यूँ ऐसा लगता है कि कुछ बांकी है ।।