कुछ पूछना है तुमसे
कुछ पूछना चाहता हूँ
तुमसे
पर फिर रुक जाता हूँ
कहीं न कहीं मन के
किसी कोने में
एक डर है कि
तुम्हें खो न दूँ कहीं
क्या पता मेरी बातों से
नाराज होकर कहीं
मुझसे तुम दूर न हो जाओ
और….
इसी भयावह डर से
मैं खुद को रोक लेता हूँ
वो कहने से
जो मैं तुमसे कहना चाहता हूँ
या पूछना चाहता हूँ