“कुछ पल मुमकिन नहीं”
अहम लालच को जरा सा छोड़कर के चलिए
हर इंसान अच्छा लगेगा जरा मुस्कुरा के चलिए
कुछ लोगों का साथ चलना मुमकिन नही पता है
थमा है हाथ तो जरा सिर उठा के चलिए ।
अहम लालच को जरा सा छोड़कर के चलिए
हर इंसान अच्छा लगेगा जरा मुस्कुरा के चलिए
कुछ लोगों का साथ चलना मुमकिन नही पता है
थमा है हाथ तो जरा सिर उठा के चलिए ।