कुछ पल थे
राही बनकर आए खुशियों के कुछ पल थे।
वापस लौट गए वो जो आए कुछ पल थे।।
मुसाफिर थे वो अब कहां रुकने वाले थे।
इंतजार बहुत रहा मगर रुके कुछ पल थे।।
सागर
राही बनकर आए खुशियों के कुछ पल थे।
वापस लौट गए वो जो आए कुछ पल थे।।
मुसाफिर थे वो अब कहां रुकने वाले थे।
इंतजार बहुत रहा मगर रुके कुछ पल थे।।
सागर