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13 Jun 2021 · 1 min read

कुछ पल की ये जिंदगानी !

कुछ पल की ये जिंदगानी,
सुख दुख से भरी रवानी।
माटी के इस संसार में,
छल कपट के बाज़ार में,
हार कर पड़ी सबको बितानी।
कुछ पल की ये जिंदगानी।

पैसा पैसा पैसा करता है,
मनुष्य आज पैसे पर मरता है।
रिश्तों का अब ध्यान नहीं,
ईश्वर का भी रहा मान नहीं,
धन दौलत ही अब तो भगवान है ,
अलग थलक हुआ हर इंसान है ,
जीवन की अब इतनी सी कहानी,
मन में सबके बस लाभ और हानि।
हार कर पड़ी सबको बितानी,
कुछ पल की ये जिंदगानी।

भूला भटका आज मानव है,
लोभ और ईर्ष्या में बना दानव है,
इस दानव को कोई कैसे समझाए,
मानव होकर क्यूं दानव कहलाए।
घर घर की अब तो यही कहनी ,
हार कर पड़ी सबको बितानी ।
कुछ पल की ये जिंदगानी ।

Language: Hindi
1 Like · 1 Comment · 481 Views
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