Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
25 Jul 2023 · 1 min read

********* कुछ पता नहीं ********

********* कुछ पता नहीं ********
*****************************

क्या होगी उनसे बात कुछ पता नही,
मिल पाएगी दो आँख कुछ पता नहीं।

सांसों की हल चल मार मारती बड़ी,
बच जाएगी यूँ शाख कुछ पता नहीं।

भावों मे हम बहकर बिखर डगर कहीं,
हो जाएगा सब राख कुछ पता नहीं।

अभिलाषी मन चंचल मचल उठा रहा,
मिट पाएगी मन प्यास कुछ पता नहीं।

अरमानों की है बंद पोटली खुली,
खुशियाँ झोली लाख कुछ पता नही।

अरसे से बैठे राह ताकते यहाँ,
पूरी होगी कुछ आस कुछ पता नही।

मनसीरत गीले नैन आंसुओं भरे,
बरसेगी जम बरसात कुछ पता नही।
****************************
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल(

Language: Hindi
219 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
मैंने रात को जागकर देखा है
मैंने रात को जागकर देखा है
शेखर सिंह
*बहती हुई नदी का पानी, क्षण-भर कब रुक पाया है (हिंदी गजल)*
*बहती हुई नदी का पानी, क्षण-भर कब रुक पाया है (हिंदी गजल)*
Ravi Prakash
जैसी सोच,वैसा फल
जैसी सोच,वैसा फल
Paras Nath Jha
सूर्यदेव
सूर्यदेव
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
“बदलते भारत की तस्वीर”
“बदलते भारत की तस्वीर”
पंकज कुमार कर्ण
■ दास्य भाव के शिखर पुरूष गोस्वामी तुलसीदास
■ दास्य भाव के शिखर पुरूष गोस्वामी तुलसीदास
*Author प्रणय प्रभात*
यक्ष प्रश्न
यक्ष प्रश्न
Shyam Sundar Subramanian
सहज है क्या _
सहज है क्या _
Aradhya Raj
3195.*पूर्णिका*
3195.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
बुद्धिमान हर बात पर,
बुद्धिमान हर बात पर,
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
कैसे भूल जाएं...
कैसे भूल जाएं...
Er. Sanjay Shrivastava
वो सुहाने दिन
वो सुहाने दिन
Aman Sinha
" दूरियां"
Pushpraj Anant
नम आंखों से ओझल होते देखी किरण सुबह की
नम आंखों से ओझल होते देखी किरण सुबह की
Abhinesh Sharma
रुदंन करता पेड़
रुदंन करता पेड़
Dr. Mulla Adam Ali
** गर्मी है पुरजोर **
** गर्मी है पुरजोर **
surenderpal vaidya
हिन्दुत्व_एक सिंहावलोकन
हिन्दुत्व_एक सिंहावलोकन
मनोज कर्ण
“दो अपना तुम साथ मुझे”
“दो अपना तुम साथ मुझे”
DrLakshman Jha Parimal
जिंदगी का सवाल आया है।
जिंदगी का सवाल आया है।
Dr fauzia Naseem shad
" आशा "
Dr. Kishan tandon kranti
कल तक जो थे हमारे, अब हो गए विचारे।
कल तक जो थे हमारे, अब हो गए विचारे।
सत्य कुमार प्रेमी
सादगी तो हमारी जरा……देखिए
सादगी तो हमारी जरा……देखिए
shabina. Naaz
वृंदावन की कुंज गलियां
वृंदावन की कुंज गलियां
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
"धूप-छाँव" ग़ज़ल
Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD
यहां लोग सच बोलने का दावा तो सीना ठोक कर करते हैं...
यहां लोग सच बोलने का दावा तो सीना ठोक कर करते हैं...
Umender kumar
बहुत बार
बहुत बार
Shweta Soni
तुमसा तो कान्हा कोई
तुमसा तो कान्हा कोई
Harminder Kaur
पग मेरे नित चलते जाते।
पग मेरे नित चलते जाते।
Anil Mishra Prahari
प्लास्टिक की गुड़िया!
प्लास्टिक की गुड़िया!
कविता झा ‘गीत’
यादों के जंगल में
यादों के जंगल में
Surinder blackpen
Loading...