कुछ नहीं…….!
कुछ नहीं…….!
कुछ नहीं हूं मैं यहां, वहां मेरे सा कौन!
वहां मौज सच ही बड़ा,झूठ यहां का गौन।।
यहां धरा सी माँ मेरी, वहां पिता आकाश।
यहां अंधेरा मौत का,वहां अमर प्रकाश।।
शून्य हूंँ पर सत्य हूंँ, बड़ा सत्य से कौन!
सत्यमेव जयते सदा, झूठ अंत में मौन।।
नित्य करूं आराधना,पूँजूं सच के पांव।
जिसको सच का साथ है,उसका सारा गांव।।
मन के माने क्या हुआ,मन मतलब का मीत।
मतलब किसका कब हुआ,कब मतलब की जीत!!
विमला महरिया “मौज”