कुछ नहीं हूँ तो कितना खुश हूं
कुछ नहीं हूँ तो कितना खुश हूं
कुछ न होने का एहसास बहुत अच्छा है।
न ही गम हैं, न हैं हज़ारों शिकवे
न ही भीड़ में खोने का डर सच्चा है
कुछ न होने का एहसास बहुत अच्छा है।
गर मैं कुछ था बहुत ही नाखुश था
हो गया खुद से रूबरू अब मैं
खो गया हूँ खुदी की मस्ती में
बेतकल्लुफ सा हो गया हूँ मैं।
रुक गया था दरों दरीचों पर
सफर में अब शुरू हुआ हूँ मैं।
ज़िन्दगी की बिखरती राहों पर
वसल का इंतखाब अच्छा है।
ज़िन्दगी यूँ ही गुज़र जाएगी
यह घड़ी फिर कभी न आएगी
रंज़ो गम से पुर जुदा रह कर
गुनगुनाने का एहसास बहुत अच्छा है।
आज खोने को कुछ नहीं है मगर
खुद को खो देने का एहसास बहुत अच्छा है।
विपिन