* कुछ नहीं मिलता दिल लगाने से*
” बिखर का चलना अच्छा लगता है
बेपरवाह हो गए जमाने से
कुछ नहीं मिलता यहाँ दिल लगाने से
खामोश जिंदगी का सफर ही अच्छा है
कुछ नहीं मिलता यहाँ गुनगुनाने से
जो भी था वह ठीक था जो भी है वह ठीक है
नहीं समेटना जिंदगी को अब
होने दो जो होता है
कुछ नहीं मिलता यहाँ वफा निभाने से
अब ऐसे बिना बात के मुस्कुराना ही ठीक है
वरना ढूंढने से कोई वजह नहीं मिलती यहाँ मुस्कुराने की जिंदगी को मुट्ठी में बांधना बंद कर दिया
मैंने यहाँ लोगों को समझना बंद कर दिया
कुछ नहीं मिलता यहाँ कुछ समझाने से
दोस्ती, वफा,मोहब्बत और इबादत यहाँ सब फिजूल हैं
कुछ नहीं मिलता यहाँ दिल के रिश्ते निभाने से
बेपरवाह हो गए जमाने से
कुछ नहीं मिलता यहाँ दिल लगाने से” 🖤✍🏻