कुछ तो शर्म करो …
अरे ओ देश के नेताओ और अभिनेताओ !
तुम्हें शर्म नहीं आती है क्या ?
मीडिया में छाये रहने के लिए ,
हथकंडे अपनाते हो क्या -क्या।
कभी बचकानी हरकतें करते हो ,
तो कभी देते हो बेतुके ,भड़कीले बयां ।
मकसद सिर्फ लोकप्रियता हासिल करना ,
उसके लिए जमीर तुमने बेचा है क्या?
बदजुबानी में तुम्हारा कोई सानी नहीं,
अमर शहीदों महापुरुषों पर उठाते हो उंगलियाँ,
त्याग ,बलिदान ,और कर्मठता से भरे
हमारे बहादुर सैनिकों पर कसते हो फब्तियां।
तुम्हें हम सज्जन कह सकते हैं क्या …?
देश में रहते हो शान से देश का खाते हो ,
और देश से प्यार तुम्हें तनिक भी नहीं।
हमारे दुश्मनों से हाथ मिलाते हो तुम ,
तुममें देशभक्ति ज़रा सी भी नहीं.
गद्दार हो तुम ,और तुम्हें हम कहें क्या ?
जितनी आज़ादी तुम्हें यहाँ मिली,
और कहीं हासिल करके दिखाओ ,तो जाने !
जितना प्यार और सम्मान तुम्हें हमने दिया ,
और कहीं से पाकर दिखाओ ,तो जाने ।
एहसान -फरामोश हो तुम !और कहें क्या.?
कोई गरज नहीं हमारे बहादुर सैनिकों को ,
तुम जैसों को अपनी देशभक्ति का सबूत देने की
अलबता तुम हो जाओ तैयार अब तुम्हारी बारी है ,
अपनी देशभक्ति का सबूत देने की।
पता तो चले कुर्बानी होती है क्या !
नहीं है ना तुममें ! इतना साहस ,इतनी निडरता ,
जो रणभूमि में अपना रक्त बहा सको ।
तो इतनी शर्म ही कर लो गर,
देश के प्रति निष्ठा ही रख सको ।
देश को तुम्हारी वजह से शर्मिंदा न होना पड़े . इतना एहसान कर सकते हो इस पर क्या ?