कुछ तो रिश्ता है
पूर्व जन्म का अनजाना सा
अद्भुत बड़ा सुहाना सा
मेरे सारे अनुभव कहते
तुमसे कुछ तो रिश्ता है ।
दूर रहो या पास रहो
ये मन तुम में ही रमता है ।
मेरी कोई अब बात न माने
ये मन बस तेरी सुनता है।
सांसों सा रमते जो मुझमें
तुमसे कुछ तो रिश्ता है।
मेरे आंगन का स्वर तुम
तुमसे घर घर ये लगता है ।
तुम साथ बस इसी आस में
जीवन की उर्वरता है।
सांसों सा रमते जो मुझमें
तुमसे कुछ तो रिश्ता है।
तुम पास नहीं मेरे फिर भी
विश्वास दीप बन जलता है।
मेरे जगने और सोने मे
सदा तुम्हारी लयता है।
सांसों सा रमते जो मुझमें
तुमसे कुछ तो रिश्ता है।
काश! पके जो इस रसोई में
सबसे पहले तू ही पाता ।
और कभी तेरी फरमाइशों
से सारा आंगन भर जाता ।
मेरी गोद कभी सिर रख सोता
सब पाने की विह्वलता है।
ममता बहुत अगाध है तुममें
बस ये ही मेरी सबलता है।
आंसू बन प्रेम छलक आता
कुछ इतनी हृदय तरलता है।
मेरे जीवन का गौरव तुम
ईश की ये अनुकम्पा है।
सासों सा रमते जो मुझमें
तुमसे कुछ तो रिश्ता है।