*कुछ तो बात है* ( 23 of 25 )
कुछ तो बात है
रात मे भी, कुछ तो बात है
तभी चाँद तारों ,की सौगात है …
कभी तो सुधरे, ज़रूर होंगे
तभी बिगड़े हुए, हालात हैं …
जिन्हें मांगने से, मिल गई ख़ुशी
उन्हें लगा सुनती ,कायनात है …
वो लोग लकीरें, नहीं टटोलते
जिनका विश्वास ,उनके हाथ है…
इस भ्रम ने ,दे दी ज़िन्दगी
कोई है जो ,उसके साथ है …
मंज़िल नहीं ,है कदमों का जुनूं
उनका हर दिन ,आबाद है…
मिटा पाया तूफ़ा, ना ही बवंडर
जाने किसकी ,दुआ साथ है …
न हो सकेंगे ,बयां शब्दों में
बड़े ही गहरे ,जस्बात हैं…
– क्षमा उर्मिला