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4 May 2024 · 1 min read

चलो जिंदगी का कारवां ले चलें

कुछ जमीं ले चलें कुछ आस्माँ ले चलें
चलो जिंदगी का कारवाँ ले चलें

न देखें है कौन कैसा यहाँ
सभी इस जहां के हैं सबका जहाँ
प्रेम सद्भाव सबके दरमियाँ ले चलें
चलो जिंदगी का कारवाँ ले चलें

न सोचें है कौन छोटा बड़ा
गिले शिकवों में मन क्यों है पड़ा
सभी सद्विचार का गुलिदस्ताँ ले चलें
चलो जिंदगी का कारवाँ ले चलें

ना पूछो कौन जन्मा कहाँ
ये जाति ये मजहब बाँटते हैं जहां
दिलों में मोहब्बत की दास्ताँ ले चलें
चलो जिंदगी का कारवाँ ले चलें

‘V9द’ जन्नत है सारा जहाँ
मिलकर रहें हम सभी गर यहाँ
लबों पर हम यूँ मिठी जुबाँ ले चलें
चलो जिंदगी का कारवाँ ले चलें

स्वरचित
V9द चौहान

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