चलो जिंदगी का कारवां ले चलें
कुछ जमीं ले चलें कुछ आस्माँ ले चलें
चलो जिंदगी का कारवाँ ले चलें
न देखें है कौन कैसा यहाँ
सभी इस जहां के हैं सबका जहाँ
प्रेम सद्भाव सबके दरमियाँ ले चलें
चलो जिंदगी का कारवाँ ले चलें
न सोचें है कौन छोटा बड़ा
गिले शिकवों में मन क्यों है पड़ा
सभी सद्विचार का गुलिदस्ताँ ले चलें
चलो जिंदगी का कारवाँ ले चलें
ना पूछो कौन जन्मा कहाँ
ये जाति ये मजहब बाँटते हैं जहां
दिलों में मोहब्बत की दास्ताँ ले चलें
चलो जिंदगी का कारवाँ ले चलें
‘V9द’ जन्नत है सारा जहाँ
मिलकर रहें हम सभी गर यहाँ
लबों पर हम यूँ मिठी जुबाँ ले चलें
चलो जिंदगी का कारवाँ ले चलें
स्वरचित
V9द चौहान