कहाँ हूँ मै पराई
जब भी चोट खाया
मैंने चिल्लाया – ओ मां !
जब भी आई संकट
मैंने पुकारा -बाप रे !
जब भी छाई तन्हाई
मैंने बजाई – बांसुरी
कहाँ हो जी ‘ श्रीमती ‘ !
जब हुई पडोसी से लड़ाई
मैंने कहा – यह जमीन मेरी है
तुम कहाँ से आई !
परायी नहीं, पड़ोस में रहती हूँ
आवाज तो दो
कहूँगी – अभी आई !