कुछ गङबङ है!!
कुछ गङबङ है!!
देख रही हूं कुछ गङबङ है
ये बेचैनी और ये हङबङ है!!
मौहब्बत नयी दिखे,है जालिम
बोली में भी तेरे खङखङ है!!
बदली से ये बादल टकराया
अब बिजली की कङकङ है!!
हरियाला सावन जम के बरसा
इश्किया पत्तों की खङखङ है!!
बुद बुद बुद क्यूं बतियाते हो
खुद से खुद की बङबङ है!!
पंगे नये नये, लिये है दिल से
दिल से दिल की तङतङ है!!
रेलगाङी में सफर करोगे बाबू
बिन पटरी के तो धङधङ है!!
बिना तान की बजी शहनाई
पुंगी बाजा सब जङवङ है!!
उङ गया पंछी सा दिल तेरा
अब पंखो की ये फङफङ है!!
प्यार किया तो डरना क्या है
प्यारे, प्यार हुआ तो गङबङ है!!
———– डा. निशा माथुर