“कुछ खास हुआ”
बीते दिनों से कुछ ख़ास हुआ है,
तेरा नाम मेरे लिए अब आम हुआ है,
कुछ ऐसा एजाज़ हुआ तेरा मेरे ख़्वाबों में आने का सिलसिला अब ख़त्म हुआ है,
मेरे चहरे में मुस्कान फ़िर से आने लगी है, ज़िन्दगी वापस गुन-गुनाने लगी है,
रात अब खौफ़ नहीं ख़्वाब देने लगी है,
और सुबह की किरण फ़िर से उगने की मुझे उम्मीद देने लगी है,
माँ का लाड़ला बेटा फ़िर से बनने लगा हूँ, वक़्त के साथ-साथ अब खुद पे ध्यान देने लगा हूँ,
तेरे लौट के आने के ख़याल अब मुझे सताते नहीं है,
तेरी याद में आँसू अब आते नहीं है,
तेरा नंबर अब मेरे फ़ोन में नहीं है, और वो तेरी ढ़ेर सारी तस्वीरें अब गैलेरी में नहीं है,
तेरे दिए हुए तोफों को जला दिया हूँ, उनकी रख को पहाड़ों में उड़ा दिया हूँ,
देख ज़िन्दगी के ख़ातिर आज फ़िर से अपने पैरों में चलने लगा हूँ,
बैसाखी का सहारा छोड़ अब फ़िर से दौड़ने लगा हूँ,
कुछ यूँ सा मेरे साथ एजाज़ हुआ है,
बीते दिनों से कुछ ख़ास हुआ है।
“लोहित टम्टा”