कुछ काम कर
कुछ काम कर
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दिल से दिल की बातें होने दो,
कुछ काम कर, कुछ नाम कर।
मेरा न कभी तेरा होना–
मुझको नित नव जीवन के ,
सपने बुनने दो ।।
कुछ काम कर—
पथ को मलयज कर,
पथिक आगे कदम बढ़ाना।
धरा पर अपने पद चिन्ह छोड़—
विश्व में अपना परिचय,और इतिहास
बना जाना।।
कुछ काम कर—-
ऐ!मानव तन पाया,कुछ काम कर
कुछ नाम कर।
जीवन को अपने यूं व्यर्थ न गवां—
पथ में अपने आशाओं के दीप जला,
विश्व धरा में अनंत प्रकाश कर।
कुछ काम कर—
सबके जीवन से तम् को दूर कर,
दिव्य ज्योति भर दो।
पथिक के पथ से शिला दूर कर—
प्रभाकर सी रोशनी फैला,
सकल जग में स्वर्णिम उजाला कर दो।
कुछ काम कर—
मानव के उर से,छल कपट और द्वेष
भावना दूर कर।
निर्मल पावन हो तन मन—
नफरत को हृदय से हर के,
प्रेम की मीठी-मीठी बयार भर।।
कुछ काम कर ,कुछ नाम कर—-
सुषमा सिंह *उर्मि,,