कुछ काम करो…(भाग १)
कुछ काम करो, आज फिर नाम करो।
देश में खुद का नहीं, देश का दुनिया में नाम करो।
कुछ काम करो….।
आराम को फिर से नाकाम करो, कुछ काम करो।
हौसले की एक नई उडान भरो, कुछ काम करो।
आज फिर खुद से खुद की पहचान करो, कुछ काम करो।
नदियों की तरह बहने का पैगाम भरो, कुछ काम करो।
मानवता की एक नई आन बनो, कुछ काम करो।
भारत की तुम शान बनो, कुछ काम करो।
उन्मुक्त गगन में फिर नई उडान भरो, कुछ काम करो।
अंधेरे में क्यो छुप रहे हो तुम, उजाले का अभियान बनो।
कुछ काम करो……।
भारत वर्ष के समस्त युवा वर्ग को अविनाश का प्रथम संदेश।