Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
10 Jun 2016 · 1 min read

कुछ कह ले दिल

कुछ कह ले दिल ….

सागर से गहरे दिल ,फिर भी न बहले दिल
कभी तो दिल से दिल की बात कहले दिल।।

समुन्दर सा लगता शांत तू ,अपना भी लगे
रूठ न जाये कभी यह सोचकर दहले दिल।।

ए दिल इश्क़ की राह चलना नही है आसां
न यूँ सिसकियाँ भर, कुछ गम सहले दिल।।

सूरत शक्ल चेहरा देखते तो है सभी मगर
कुछ होते हटकर जो देखते है पहले दिल।।

चंचल मन बहता निर्मल बनकर दरिया सा
भटकना छोड़ किसी को होकर रहले दिल ।।

,”दिनेश”

346 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
"जिन्दादिली"
Dr. Kishan tandon kranti
फाग (बुंदेली गीत)
फाग (बुंदेली गीत)
umesh mehra
प्रेम - एक लेख
प्रेम - एक लेख
बदनाम बनारसी
खूबियाँ और खामियाँ सभी में होती हैं, पर अगर किसी को आपकी खूब
खूबियाँ और खामियाँ सभी में होती हैं, पर अगर किसी को आपकी खूब
Manisha Manjari
प्रेम और घृणा दोनों ऐसे
प्रेम और घृणा दोनों ऐसे
Neelam Sharma
बघेली कविता -
बघेली कविता -
Priyanshu Kushwaha
__सुविचार__
__सुविचार__
विनोद कृष्ण सक्सेना, पटवारी
कृष्ण कुमार अनंत
कृष्ण कुमार अनंत
Krishna Kumar ANANT
ये सर्द रात
ये सर्द रात
Surinder blackpen
एक काफ़िर की दुआ
एक काफ़िर की दुआ
Shekhar Chandra Mitra
फितरत
फितरत
Sidhartha Mishra
जीवन के रूप (कविता संग्रह)
जीवन के रूप (कविता संग्रह)
Pakhi Jain
जिस्मानी इश्क
जिस्मानी इश्क
Sanjay ' शून्य'
आज वो भी भारत माता की जय बोलेंगे,
आज वो भी भारत माता की जय बोलेंगे,
Minakshi
मैं उन लोगो में से हूँ
मैं उन लोगो में से हूँ
Dr Manju Saini
जीवन चक्र में_ पढ़ाव कई आते है।
जीवन चक्र में_ पढ़ाव कई आते है।
Rajesh vyas
राष्ट्र निर्माता गुरु
राष्ट्र निर्माता गुरु
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
दोहा छन्द
दोहा छन्द
नाथ सोनांचली
उम्मीद रखते हैं
उम्मीद रखते हैं
Dhriti Mishra
तेरी नादाँ समझ को समझा दे अभी मैं ख़ाक हुवा नहीं
तेरी नादाँ समझ को समझा दे अभी मैं ख़ाक हुवा नहीं
'अशांत' शेखर
शहद टपकता है जिनके लहजे से
शहद टपकता है जिनके लहजे से
सिद्धार्थ गोरखपुरी
युवा मन❤️‍🔥🤵
युवा मन❤️‍🔥🤵
डॉ० रोहित कौशिक
3175.*पूर्णिका*
3175.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
* विदा हुआ है फागुन *
* विदा हुआ है फागुन *
surenderpal vaidya
वन को मत काटो
वन को मत काटो
Buddha Prakash
सुख - एक अहसास ....
सुख - एक अहसास ....
sushil sarna
साहित्य सृजन .....
साहित्य सृजन .....
Awadhesh Kumar Singh
"सफाई की चाहत"
*Author प्रणय प्रभात*
प्रतिश्रुति
प्रतिश्रुति
DR ARUN KUMAR SHASTRI
*नौकरपेशा लोग रिटायर, होकर मस्ती करते हैं (हिंदी गजल)*
*नौकरपेशा लोग रिटायर, होकर मस्ती करते हैं (हिंदी गजल)*
Ravi Prakash
Loading...