“ कुछ कहने भी तो दो ”
डॉ लक्ष्मण झा ” परिमल ”
===================
कब तक रुलाओगे हमें ,
कभी हँसने भी तो दो !
व्यथा हम किस से कहें ,
कुछ कहने भी तो दो !!
झूठा वादा झूठी नीति ,
झूठे सपने दिखलाकर !
मृगतृष्णा के मायाजाल ,
रख डाला है भरमाकर !!
कब तक मौन रहेंगे यूँ ,
कभी कहने भी तो दो !
कब तक रुलाओगे हमें ,
कभी हँसने भी तो दो !!
नौकरियाँ भी छूट गयीं ,
घर से बेघर होने लगे !
लोगों को हमने खोया ,
कोहराम मचने लगे !!
कब तक मिलेंगे अपने ,
कोई सुराग भी तो दो !
व्यथा हम किस से कहें ,
कुछ कहने भी तो दो !!
शिकायत सुनने वाला ,
किसी की नहीं सुनता !
उलट कर राष्ट्रद्रोह के ,
अभियोग में ही फँसता !!
कब तक फँसाओगे हमें ,
आज़ाद होने भी तो दो !
व्यथा हम किस से कहें ,
कुछ कहने भी तो दो !!
जो वादा करके आए ,
उसको निभाना चाहिए !
इतिहास के पन्नों में ,
पहचान बनाना चाहिए !!
जनहित में कुछ करके ,
नाम कमाने भी तो दो !
व्यथा हम किस से कहें ,
कुछ कहने भी तो दो !!
==================
डॉ लक्ष्मण झा ” परिमल ”
साउंड हेल्थ क्लिनिक
डॉक्टर’स लेन
दुमका
झारखण्ड
भारत