कुछ करो ऐसा के अब प्यार सम्भाला जाये
कुछ करो ऐसा के अब प्यार सम्भाला जाये
दिलों से अपने……नफ़रतों को निकाला जाये
फर्मा बरदार हो तो क़िस्मत वाले होंगे
हुक्म वालिदैन का हरगिज़ नहीं टाला जाये
दिन में निकला है वो महताब (चांद)ऐसे
उस की किरनों का कयामत तक उजाला जाए
है अगर तरबियत में बसी तहजीब और तमीज
तो मालूम होगा कि कब कहां क्या बोला जाये
किसी का राज पता भी हो अगर …….
उसकी इज़्ज़त को सरे -आम ना उछाला जाए
दुआएँ दो दुआएँ लो इस से बेहतर कुछ नहीं
मिलना हो जब भी तो खुले दिल से मिला जाए……shabinaZ