कुछ और शेर
वो घाव इतना गहरा गहरा था , कि सारे घाव भर गए
प्रश्न सारे जिंदगी के , यूँ ही हल हो गए।
मन में हज़ार बातें हैं , जो मांगती हिसाब हैं
कितने पृष्ठ हैं वहां , कैसी ये किताब है।
चोट जमाने ने नहीं , तूने दी है मुझको
प्यार की कैसी सज़ा , तूने दी है मुझको।
तुम मेरा अपमान कर सको
यह सामर्थ्य तुम्हारा नहीं
यह अधिकार तो मेरा है।
और चाहिए ? ले लो सब
यह सौंदर्य , यह ब्रह्माण्ड
तो मेरा है।
तुमको न सही प्यार मुझसे
मेरा प्यार तो तेरा है।
ले आये हो जिस मोड़ पे जीवन
फिर भी चुन लूँ शांति मन की
यह चुनाव तो मेरा
—-शशि महाजन