कुछ एक ज़ख्म गैरों ने दिए,कुछ ज़ख्म अपनों से लिए
कुछ एक ज़ख्म गैरों ने दिए,कुछ ज़ख्म अपनों से लिए
सजदा है ज़िंदगी तेरा, एक आस लिए एक आस लिए
– विवेक जोशी ”जोश”
कुछ एक ज़ख्म गैरों ने दिए,कुछ ज़ख्म अपनों से लिए
सजदा है ज़िंदगी तेरा, एक आस लिए एक आस लिए
– विवेक जोशी ”जोश”