कुछ अभी शेष है
प्रतीक्षारत हैं कुछ सांसें,
कुछ सपने जीवित हैं।
यद्यपि हार गये हैं हम,
पर जीत की इच्छा,
कुछ अन्तर्मन में जीवित हैं।।
थे कुछ सपने कल के,
कुछ आज के सपने हैं।
कुछ यादें हैं अब तक जिन्दा,
कुछ आशाएं जीवित हैं।
किरण सुनहरी प्रातः की
और किरण सुनहरी संध्या की।
एक उत्थान की तो एक पतन की,
उत्थान पतन के द्वंद्व में,
ही जीवन जिवित है।।
जय प्रकाश श्रीवास्तव पूनम