*कुछ अनुभव गहरा गए, हुए साठ के पार (दोहा गीतिका)*
कुछ अनुभव गहरा गए, हुए साठ के पार (दोहा गीतिका)
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1)
कुछ अनुभव गहरा गए, हुए साठ के पार
चिंतन में भी आ गई, नई-नई-सी धार
2)
मोहक कितने लग रहे, दुनिया के परिदृश्य
शुरू हुई ज्यों जिंदगी, पहली-पहली बार
3)
खुश रहने में कब हुए, बाधक उजले बाल
फिर क्यों इन पर डालते, कालेपन का भार
4)
पोता-पोती मिल गए, ले बचपन के रंग
इनके भीतर झॉंकिए, अपना नव-आकार
5)
पाने की चिंता तजो, पाने से क्या लाभ
मुट्ठी सीखो खोलना, यह जीवन का सार
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रचयिता :रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर उत्तर प्रदेश
मोबाइल 99976 15451