कुछ अधूरी कुछ अनसुलझी राहों में
कुछ अधूरी कुछ अनसुलझी राहों में
जिंदगी यूंही बीती चली जा रही थी
तेरी पुकार सुन मैं तेरी ओर आने लगा
मुझे कहां पता था तुम्हीं मेरी मंज़िल हो
कुछ अधूरी कुछ अनसुलझी राहों में
जिंदगी यूंही बीती चली जा रही थी
तेरी पुकार सुन मैं तेरी ओर आने लगा
मुझे कहां पता था तुम्हीं मेरी मंज़िल हो