कुंद हो न धार माँ
गीतिका
०००००००
(आधार छंद शिव- ११ मात्रा मापनी- गा ल गा ल गा ल गा
समांत-आर , पदांत-माँ)
०००
कुंद हो न धार माँ
०००
तू बड़ी उदार माँ ।
भाग्य को सुधार माँ ।।
०
ज्ञान का अभाव है ।
बुद्धि को निखार माँ ।।२
०
नाव पार हो सके ।
संग हो सवार माँ ।।३
०
झूँठ नित्य फैलता ।
सत्य को उभार माँ ।।४
०
लेखनी थके नहीं ।
कुंद हो न धार माँ ।।५
०
छंद साधना करूँ ।
गीत को सँवार माँ ।।६
०
‘ज्योति’ टेरता तुझे ।
शीघ्र सुन पुकार माँ !!७
०००
महेश जैन ‘ज्योति’,
मथुरा ।
***