कुण्डलिया
देश तरक्की कर रहा , कहते हैं सब लोग।
सब कुछ हरा-हरा दिखे,नहीं दिखे है रोग।।
नहीं दिखे है रोग , यहां सब गड़बड़झाला।
कल तक थे जो चोर,आज हैं नेता आला।।
कह श्री कविराय , चलेगी कैसे चक्की।
अंधे रहे हैैं पीस , कुत्ते कर रहे तरक्की।।
देश तरक्की कर रहा , कहते हैं सब लोग।
सब कुछ हरा-हरा दिखे,नहीं दिखे है रोग।।
नहीं दिखे है रोग , यहां सब गड़बड़झाला।
कल तक थे जो चोर,आज हैं नेता आला।।
कह श्री कविराय , चलेगी कैसे चक्की।
अंधे रहे हैैं पीस , कुत्ते कर रहे तरक्की।।