कुंडलिया
झूठ दौड़ती जा रही , सच ने साधा मौन ।
तुम अगर अब नहीं लड़े, कहो लड़ेगा कौन?।
कहो लड़ेगा कौन , कौन बदले तकदीरें ।
हो गई अब पहाड़ , दुख-दर्द की सब पीरें ।।
कहते श्री कविराय ,बात बड़ी झिंझोड़ती ।
सच खड़ा परेशान , जा रही झूठ दौड़ती ।।