कुंडलिया. . .
कुंडलिया. . .
जाते – जाते दे गया, बेदर्दी वो पीर ।
तोड़ नैन प्राचीर को, अविरल बहता नीर ।
अविरल बहता नीर, कहे सब मन की बातें ।
कैसे बीती मौन , याद में तनहा रातें ।
झूठा निकला मीत , स्वप्न से टूटे नाते ।
दे दी दिल को टीस, प्रीति ने जाते – जाते ।
सुशील सरना /