कुंडलिया
कुंडलिया
उनको देखा तो मिली, प्रेम गली को लीक।
ईशदया को मिल गए, सुंदर से प्रतीक।।
सुंदर से प्रतीक, छटा है जिनकी न्यारी।
हारे तन-मन मीत, दया थीं प्यारी-प्यारी।।
कह बाबा मुस्काय, बधाई नभ-भर तुमको।
भर नयनों में नेह, प्रेम से देखो उनको।।
-दुष्यंत ‘बाबा’