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28 Aug 2024 · 1 min read

कुंडलिया

कुंडलिया

मनमानी किसकी चली, इस‌ दुनिया में देख।
कर्ता तो कर्तार‌ है, लिखे भाग्य के लेख।
लिखे भाग्य के लेख, सभी को वही नचाता।
कठपुतली संसार, कहां कुछ भी कर पाता।
डूबे रावण कंस, हुई‌ सबको हैरानी।
आये कितने लोग, चली किसकी मनमानी।।

डाॅ सरला सिंह “स्निग्धा”
दिल्ली

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