कुंडलिया . . .
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कुंडलिया . . .
कच्ची कैरी सा लगे, नयी उमर का प्यार ।
पलकों में हरदम सजे, सपनों का संसार ।
सपनों का संसार , करे दिल किस से बातें ।
तारे गिन – गिन रोज , नयन में कटती रातें ।
कह ‘ सरना ‘ कविराय, बात ये बिल्कुल सच्ची ।
अक्सर फिसले पाँव , उमर है बाली कच्ची ।
सुशील सरना / 14-6-24