कुंडलिया
कुंडलिया
बचपन तो नटखट बड़ा, होता है शैतान ।
घर में इसका बचपना, ले आता तूफान ।
ले आता तूफान , इसे तो मस्ती सूझे ।
कोई इसकी बात, बड़ी मुश्किल से बूझे ।
कह ‘ सरना ‘ कविराय,भला कब यह रहा खड़ा ।
सदा करे उत्पात , बचपन तो नटखट बड़ा ।
सुशील सरना / 10-3-24