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23 Jan 2019 · 1 min read

कुंडलिया

दोहा की दो पंक्तियां, फिर रोला की चार।
कुंडलियाँ यह छंद है, थोड़ा करो विचार।।
थोड़ा करो विचार, चरण अंतिम दोहा का।
पुनः चरण बन जाय, प्रथम जानो रोला का।।
‘कौशल’ पंचम पंक्ति, रचयिता को ही सोहा।
अंतिम शुरू समान, शब्द हों जैसे दोहा।।

कौशल

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