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8 Dec 2017 · 1 min read

“कुंडलिया”

“कुंडलिया”
पानी भीगे बाढ़ में, छतरी बरसे धार
कैसे तुझे जतन करूँ, रे जीवन जुझार
रे जीवन जुझार, पाँव किस नाव बिठाऊँ
जन जन माथे बोझ, रोज कस पाल बँधाऊँ
‘कह गौतम’ कविराय, मिला क्या कोई शानी
मोटे पुल अरु बाँध, रोक ले बहता पानी।।
महातम मिश्र, गौतम गोरखपुरी

Language: Hindi
252 Views
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