#रुबाइयाँ
#रुबाइयाँ
धीरे-धीरे चुपके-चुपके , यार निकल मैं सोया हूँ।
कल के मीठे से सपनों में , अभी-अभी मैं खोया हूँ।।
तेरी पायल खनक न जाए , साँस कभी शोर मचाएँ;
तोड़ तन्हाई तुम मत जाना , भटक भीड़ मैं रोया हूँ।।
हवा दुपट्टे से मत करना , कुंतल ख़ुशबू संभालो।
यार अभी तुम मौन रहो बस , छाया अपनी मत डालो।।
चाँद बिंदिया कहीं छिपालो , तारे-गजरे रहने दो;
नींद कहीं अब टूट न जाए , नज़रों से नज़र हटालो।।
#आर.एस.’प्रीतम’