कुंडलिया छंद
कुंडलिया छंद
मिलता है जब काम के,बदले में सम्मान।
आतीं जिम्मेदारियाँ ,बढ़ जाती है शान।
बढ़ जाती है शान,लोग जब करें बड़ाई।
दुख का बड़ा पहाड़, लगे जैसे हो राई।
लेकर जो संकल्प ,नहीं रत्ती भर हिलता।
उसको जीवन लक्ष्य,ज़िंदगी में है मिलता।।
-डाॅ.बिपिन पाण्डेय