#दोहे
कारण से ही कार्य है , सूरज से ज्यों धूप।
भू जल कैसे प्राप्त हो , बिना खुदाई कूप।।
आदर से आदर मिले , नफ़रत से दुत्कार।
मेल मिलाप राखिए , करके शुभ व्यवहार।।
साथ हमेशा दीजिये , पाया जिसका साथ।
शोभा जीवन की यही , मिले हाथ से हाथ।।
घृणा जलाती हृदय यूँ , अग्नि जलाए काट।
मिलके रहना प्रेम से , ज्यों चक्की के पाट।।
#आर.एस.’प्रीतम’
सर्वाधिकार सुरक्षित दोहे