कुंडलिया छंद ( योग दिवस पर)
कुंडलिया छंद ( योग दिवस पर)
थोड़ा समय निकालकर,नित्य कीजिए योग।
संयम से जीवन जिएँ ,त्याज्य बनाएँ भोग।
त्याज्य बनाएँ भोग, रखें आलस से दूरी।
तन मन रहे निरोग , तमन्ना हो हर पूरी।
करके प्राणायाम ,स्वयं को जिसने मोड़ा।
वही रहा है स्वस्थ, योग आसन कर थोड़ा।।1
रखता तन को स्वस्थ है,और चित्त को शांत।
ऐसी महिमा योग की ,मन न रहे उदभ्रांत।
मन न रहे उद्भ्रांत ,वदन पर कांति बढ़ाए।
जो करता है योग, शांति सुख वैभव पाए।
आती तन में स्फूर्ति,मज़ा जीवन का चखता।
सुंदर स्वस्थ निरोग,योग तन मन को रखता।।2
डाॅ बिपिन पाण्डेय