कुंडलिया – गौरैया
कुंडलिया – गौरैया
गौरैया को देखने, हम आ बैठे द्वार ।
गौरैया के झुंड का, खूब लगे संसार ।
सुंदर लगे संसार , धरा पर दाना खाती ।
लेकर तिनके साथ, घोंसला खूब बनाती ।
कह ‘ सरना ‘ कविराय, धूप में ढूँढे छैया ।
उसको उड़ते देख, कहें री आ गौरैया ।
सुशील सरना / 21-3-24