#कुंडलिया//कैसे जीवन हो ख़ुशहाल
सदा कर्म पर दाद दो , जलन करो मत भूल।
फूलों बदले फूल हैं , शूलों बदले शूल।।
शूलों बदले शूल , रखो यह याद हमेशा।
जीवन हो ख़ुशहाल , रहे संकट न कलेशा।
सुन प्रीतम की बात , सबसे बनिए तुम ज़ुदा।
सबसे हो पहचान , आँगन रहे प्रेम सदा।
भागे डरकर हार जो , अपना रोना रोय।
जीवित मुर्दा एक वो , बचा सके ना कोय।।
बचा सके ना कोय , परिस्थितियों को जीतो।
लड़ो ग़मों से ख़ूब , नहीं कायर-से बीतो।
सुन प्रीतम की बात , हौंसले से सब जागे।
बढ़ो धैर्य से मीत , सुनो डर भी डर भागे।
बीती बातें भूल के , ख़ुशियाँ चुनो हज़ार।
बने खिले नववर्ष यूँ , मंगल का आधार।।
मंगल का आधार , मज़े में झूमो यारों।
छोड़ तनाव मिज़ाज़ , उचित हो धर्म विचारो।
सुन प्रीतम की बात , आरज़ू उसकी जीती।
जो चलता यह सोच , बात बीती सो बीती।
भूलो मत औक़ात तुम , बड़े बोल मत बोल।
धूप-छाँव-सी ज़िन्दगी , देगी पर्दा खोल।।
देगी पर्दा खोल , वक़्त का पहिया घूमे।
चाहे हो बलवान , क़दम इसके है चूमे।
सुन प्रीतम की बात , ख़ुशी का झूला झूलो।
रखो धर्म को याद , इसे भूले मत भूलो।
#आर.एस. ‘प्रीतम’