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4 Jun 2023 · 1 min read

कुंडलियां

कविता आहें भर रही , वाणी पर प्रतिबंध ।

गूंगे रहकर लिख रहे , भावों के अनुबंध।।

भावों के अनुबंध , समय की है बलिहारी ।

ठकुर सुहाती कहो , अन्यथा संकट भारी ।

कह पाण्डे कविराय , चरण चुंबन जो करता

सम्मानों से सज्ज , दिखे बस उसकी कविता ।।
सतीश पाण्डेय

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