कुंडलिनी छंद
कुंडलिनी छंद
कहते पैसा मनुज के, हाथों का है मैल।
उसके कारण ही बने, सब कोल्हू के बैल।।
सब कोल्हू के बैल ,हमेशा पिसते रहते।
चले न कोई काम,बिना पैसा सब कहते।।
डाॅ बिपिन पाण्डेय
कुंडलिनी छंद
कहते पैसा मनुज के, हाथों का है मैल।
उसके कारण ही बने, सब कोल्हू के बैल।।
सब कोल्हू के बैल ,हमेशा पिसते रहते।
चले न कोई काम,बिना पैसा सब कहते।।
डाॅ बिपिन पाण्डेय