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4 Jul 2021 · 1 min read

की जब मैंने दुख से प्रीत…

की जब मैंने दुख से प्रीत…

कल क्या होगा –
इस चिंता में,
रात गई
आँखों में बीत !

ओठों पर
आने से पहले,
सुख का प्याला
गया रीत !

आशाओं का
दीप जला,
ढूँढा, न मिला
जीवन-संगीत !

किस्मत भी, जब
हुई पराई ,
फूट पड़ा
अधरों से गीत !

साथी सुख,
तनहा छोड़ गया
जब, दर्द मिला
बन, मन का मीत !

हर सुख से,
खुद को ऊपर पाया,
की जब मैंने,
दुख से प्रीत !

-सीमा अग्रवाल
मुरादाबाद ( उत्तर प्रदेश )

Language: Hindi
2 Likes · 1 Comment · 331 Views
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