कीर्तिमान
कीर्तिमान
कहाँ गुम हुए बस इक झलक दिखा के
राह देखते रहे हम टकटकी लगा के
यूं लुभा के अदा दिखा के
लुत्फ मिलता है क्या इंतज़ार करा के।
जो अपना नहीं है वो अपना हो नहीं सकता
जो अपना है वो खो नहीं सकता
यूं मायूसी में क्यूँ घुट घुट के जीना
जी खोल के जीवन जी लो सदा।
दिल की हर तमन्ना कर लो पूरी
बल ना ले पाए कोई मजबूरी
हिम्मत है तो किस्मत भी है साथ
कर्मठ है फिर न दे सके कोई मात ।
‘गर सुगम है रास्ता फिर क्या मज़ा
मुश्किलों से ही बने ये हौसला
अग्रसर पथ पर रहे हो धैर्यवान
हर कदम बन जाए उस का कीर्तिमान ।