किस रूप में
मानव माथे पड़ी लकीर कभी मिटती नहीं
फकीर माँगे देने से अमीरी घटती नहीं।
प्रभु न जाने किस भेष मे आ जाये द्वार,
दर्शन पा जीवन धन्य कभी नजर झुकती नहीं।।.
सज्जो चतुर्वेदी*****************किस रूप में.
मानव माथे पड़ी लकीर कभी मिटती नहीं
फकीर माँगे देने से अमीरी घटती नहीं।
प्रभु न जाने किस भेष मे आ जाये द्वार,
दर्शन पा जीवन धन्य कभी नजर झुकती नहीं।।.
सज्जो चतुर्वेदी*****************किस रूप में.